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अगर 1 जुलाई से लागू होता नया लेबर कोड! तो दिखेंगे ये छह बड़े बदलाव

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सांकेतिक फोटो

देश में एक जुलाई से नया लेबर कोड लागू होने वाला है. इसके लागू होने से सभी कर्मचारियों पर अच्छा-खासा असर होगा. इस नए लेबर कोड में एक अच्छी बात यह शामिल की गई है कि किसी भी कर्मचारी द्वारा कंपनी छोड़ने के बाद दो दिनों के अंदर उसे पूरा पैसा मिल जाएगा, जो भी कंपनी पर बकाया बनता होगा. वर्तमान कोड के हिसाब से अभी तक इस फुल एंड फाइनल पेमेंट में 30 से 60 दिन (एवरेज 45 दिन) लग जाते हैं.

नए लेबर कोड में और भी कई चीजें कर्मचारियों के हित में हैं, जैसे कि उसकी सैलरी, सामाजिक सुरक्षा और हेल्थ से जुड़े कुछ बदलाव इत्यादी. हालांकि इस नए लेबर कोड के लागू होने के बाद कर्चमारियों की इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी, परंतु PF में कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा. बढ़ा हुई कंट्रीब्यूशन ने केवल कर्मचारी की तरफ होगा, बल्कि कंपनी भी उतना ही पैसा कर्मचारियों के खाते में जमा कराएगी.

कैसे होगा पेमेंट का निपटारा?
मनीकंट्रोल हिन्दी की एक खबर के मुताबिक, 2019 के कोड ऑन वेजेज में कर्मचारियों को वेजेज का पेमेंट कब होगा, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. पेमेंट रोजाना, साप्ताहिक, अर्थमासिक या मासिक हो सकता है. यह ध्यान में रखना जरूरी है कि इसमें (Code on Wages, 2019) में Wages के दायरे से Statutory Bonus को बाहर रखा गया है.

वर्तमान या 1 जुलाई 2022 से पहले तक की बात करें तो अभी प्रोविजन्स ऑफ पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट, 1936 लागू है. इसके दायरे में सिर्फ ऐसे कर्मचारियों के वेजेज और उसके सेटलमेंट के बारे में बताया गया है, जिनके वेजेज मासिक 24,000 रुपये से ज्यादा नहीं है. इसमें सैलरीज़ और अलाउन्सेज़ के साथ बोनस का भी उल्लेख है. नौकरी की शर्तों के मुताबिक ही इनके पेमेंट की शर्तें दी गई हैं.

नए कोड में सभी कर्चमारी शामिल
नए लेबर कोड में वेजेज के पेमेंट या उसके सेटलमेंट के लिए कर्मचारियों की सैलरी की सीमा तय नहीं है. मतलब इसके तहत सभी तरह के कर्मचारी आएंगे. फुल एंड फाइनल सेटलमेंट के बारे में कहा गया है कि कंपनी छोड़ने, बर्खास्तगी, छंटनी और इस्तीफा देने के 2 दिन के अंदर कर्मचारियों को वेजेज का पेमेंट हो जाना चाहिए. अभी वेजेज के पेमेंट और सेटलमेंट पर अधिकतर राज्यों के नियम लागू हैं. इनमें ‘इस्तीफा’ शामिल नहीं है.

कुछ राज्यों, जैसे कि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के नियमों में इस्तीफे की कैटेगरी के बारे में लिखा गया है. दूसरे राज्यों, जैसे महाराष्ट्र और त्रिपुरा के नियमों में 2 दिन के अंदर पेमेंट के लिए कंपनी की तरफ से कर्मचारी के टर्मिनेशन को शामिल किया गया है.

वेजेज का पीरियड एक महीने से अधिक नहीं
नौकरी जॉइन करने वाले कर्चमारियों के वेजेज के बारे में भी इस लेबर कोड के बारे में बताया गया है. इसके मुताबिक, वेजेज का सेटलमेंट अगले महीने के 7 दिन के अंदर हो जाना चाहिए. वेजेज का पीरियड एक महीना से ज्यादा नहीं हो सकता. अभी हर कंपनी में सैलरी के कैलकुलेशन के लिए अलग-अलग कट-ऑफ डेट होती है. अगर कोई एंप्लॉयी इस कट-ऑफ डेट के बाद ज्वाइन करता है तो ज्यादातर कंपनियां उस महीने के बाकी दिनों के वेजेज को अगले महीने के वेजेज के साथ जोड़कर पेमेंट करती हैं.

उदाहरण के लिए, मान लीजिए सैलरी के कैलकुलेशन के लिए कट-ऑफ डे महीने की 25 तारीख है. ऐसे में अगर कोई एंप्लॉयी 26 से 30 अप्रैल के बीच जॉइन करता है तो उसकी अप्रैल की सैलरी मई की सैलरी के साथ जोड़कर दी जाती है. इस तरह वेजेज का पीरियड एक महीना से ज्यादा हो जाता है. नए लेबर कोड लागू होने पर यह कर्चमारी चाहे किसी भी तारीख को जॉइन करे, उसे इस महीने काम किए हुए दिनों के वेजेज के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा.

अगर नौकरीपेशा लोगों के लिए 1 जुलाई से नया लेबर कोड लागू होता है तो वर्तमान में चल रहे कई नियम बदल जाएंगे. आईए डालते हैं उन 6 चीजों पर नजर जो नए लेबर कोड्स के अमल में आने के बाद देखने को मिलेंगी-

  1. रिटायरमेंट के बाद मोटी रकम मिलेगी

एक जुलाई से नया लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मियों की पीएफ और ग्रेच्युटी में अधिक राशि जमा होने लगेगी इससे रिटायरमेंट के बाद उन्हें मोटी रकम मिल सकेगी.वहीं ग्रॉस सैलरी में भत्ते कम हो जाएंगे.नए लेबर कोड में बेसिक सैलरी और भत्ते 50-50 के अनुपात में होंगे.

  1. हफ्ते में तीन छुट्टियां

कंपनियों को सप्ताहिक छुट्टियों को बढ़ाकर दो से तीन दिन करना पड़ सकता है.दरअसल नए लेबर कोड में सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम लेने का ही प्रावधान किया जा सकता है.

  1. आठ नहीं 12 घंटे करना होगा काम

नया लेबर कोड लागू होने के बाद काम के घंटे बढ़ने वाले हैं.अगर हफ्ते में तीन दिन की छुट्टी होगी तो जाहिर है बचे चार दिनों में काम के घंटे 8 से बढ़कर कम से कम 12 घंटे हो जाएंगे।

  1. दो दिन में फुल एंड फाइनल सेटलमेंट

नए लेबर कोड के लागू होने पर नौकरी छोड़ने पर दो दिनों में कंपनियों को कर्मचारियों का फूल सेटलमेंट करना पड़ेगा.नौकरी छोड़ने के दो दिनों के भीतर ही कर्मी को पूरा पैसा भी मिल जाएगा.वर्तमान में इस प्रक्रिया में 30 से 60 दिनों का वक्त लगता है.

  1. खाते में आने वाली सैलरी घट जाएगी

नए लेबर कोड के लागू होने से जहां एक ओर बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ और ग्रेच्युटी में कर्मी का योगदान बढ़ जाएगा, वहीं दूसरी ओर उसकी इन हैंड सैलरी या टेक होम सैलरी घट जाएगी.क्योंकि, कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों में कटौती हो जाएगी.

  1. गिग वर्कर्स को मिल सकती है सामाजिक सुरक्षा

नए लेबर कोड में चार तरह के प्रावधान हैं इनमें मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, व्यापारिक संबंध और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी से जुड़े प्रावधान हैं.इनके लागू होने से वर्तमान श्रम कानून की विसंगतियां दूर होंगी.इससे श्रमिकों को फायदा मिलेगा.गिग वर्कर्स को मिलने वाले फायदे भी बढ़ सकते हैं.








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