छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आया है। 1 जनवरी 2024 से 16 जून 2025 के बीच 130 स्वास्थ्य संस्थानों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के तहत प्रमाणित किया गया—जिसमें 1 जिला अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और 113 उप-स्वास्थ्य केंद्र (SHC) शामिल हैं। ये सुशासन और सुदूर एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इन 130 संस्थानों में कांकेर, बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा के प्रमुख नक्सल प्रभावित जिले शामिल हैं, जहां सेवा पहुंचाना चुनौतीपूर्ण माना जाता रहा है, लेकिन इन क्षेत्रों में भी सेवाएं उन्नत हुई हैं। अभी और 65 संस्थानों का प्रमाणीकरण प्रगति पर है।
‘नियाद नेल्लानार’ योजना के तहत बस्तर में 36,231 आयुष्मान कार्ड बने, जिससे जिले का कवरेज 52.6% हुआ। अब तक 6,816 लाभार्थियों को ₹8.22 करोड़ की चिकित्सा सहायता मिल चुकी है।
सीएम विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस सुधार को सराहा। पिछले 18 महीनों में 33 मेडिकल स्पेशलिस्ट, 117 मेडिकल ऑफिसर और एक डेंटल सर्जन की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा, स्टाफ व प्रबंधन स्तर पर 382 पदों पर नियुक्तियाँ पूरी की गईं, जबकि 291 पदों की भर्ती प्रक्रिया जारी है।
इस पहल से बस्तर जैसे पिछड़े एवं दूरदराज इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित हुई है। इसे पूरे देश में एक प्रेरणादायक मॉडल माना जा रहा है जो दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करता है।