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34 करोड़ यात्री, 33 लाख टन ढुलाई…दुनिया में नंबर-3 है भारत का एविएशन सेक्टर

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कोरोना काल से पहले भारतीय सिविल एविएशन यानी नागर विमानन सेक्टर देश की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इंडस्ट्री में था. कोरोना काल में दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत की एविएशन इंडस्ट्री भी ठप पड़ गयी है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू एविएशन बाजार है और ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 2024 तक एयर पैसेंजर बाजार के हिसाब से (घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों लिहाज से) ब्रिटेन को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा देश हो जाएगा.

 वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में पैसेंजर ट्रैफिक 34.10 करोड़ था. पिछले चार साल में यह 11.13 फीसदी चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा था. इस दौरान घरेलू यात्री ट्रैफिक 27.45 करोड़ तक था. घरेलू ट्रैफिक में सालाना 12.91 फीसदी की दर से बढ़त हुई. भारत से इंटरनेशनल पैसेंजर ट्रैफिक 6.65 करोड़ था. 

अगर फ्रेट यानी मालवाहन एयर ट्रैफिक की बात की जाए तो पिछले चार साल में यह 5.32 फीसदी की साल दर साल बढ़त वर्ष 2019-20 में 33 लाख टन तक पहुंच गया. भारत सरकार लगातार एयर ट्रैफिक बढ़ाने की कोशिश कर रही है. मार्च 2019 तक भारत में कुल 103 एयरपोर्ट संचालित हो रहे थे, जिनकी संख्या वित्त वर्ष 2039-40 तक 200 करने की योजना है.

इसी तरह साल 2027 तक एयरप्लेन्स की संख्या बढ़कर 1,100 तक पहुंच सकती है. सबसे ज्यादा 250 एयरप्लेन इंडिगो के पास हैं और कोविड से पहले जनवरी में वह हर दिन करीब 1500 उड़ानों का संचालन कर रही थी.  एक अनुमान के अनुसार साल 2038 तक भारत को करीब 2400 कॉमर्शियल प्लेन की जरूरत होगी. 

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