Home उत्‍तराखंड बागेश्वर के कालिका मंदिर का एक हिस्सा झुका, मूर्ति भी खिसकी

बागेश्वर के कालिका मंदिर का एक हिस्सा झुका, मूर्ति भी खिसकी

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साभार दैनिक जागरण

उत्तराखंड के कांडा स्थित प्रसिद्ध मां कालिका मंदिर क्षेत्र में मशीनों से हो रहे खड़िया खनन का दुष्प्रभाव दिखने लगा है। बता दे कि शंकराचार्य द्वारा स्थापित कालिका मंदिर का एक हिस्सा नींव पर दरार आने से झुकने लगा है और मां काली की मूर्ति भी करीब दो इंच खिसक गई है।
इसी के साथ जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने मंदिर पहुंचकर निरीक्षण किया और लोडर मशीनों से खड़िया खनन पर रोक लगा दी है। साथ ही भू-विज्ञानियों से जांच कराने के आदेश दिए हैं।

हालांकि मंगलवार को डीएम के मंदिर पहुंचने पर पुजारी रघुवीर माजिला, अर्जुन माजिला ने उन्हें बताया कि क्षेत्र में अवैध खड़िया खनन हो रहा है।
इससे मकानों को भी खतरा पैदा हो रहा है। इसी के साथ जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया कि सुरक्षा उपाय करने के साथ ही और भू-विज्ञानियों से जांच कराई जाएगी।
बता दे कि इस मंदिर की स्थापना शंकराचार्य ने 10वीं शताब्दी में की थी। बाद में आपसी सहयोग से लोगों ने मंदिर बनाया और फिर पर्यटन विभाग ने मंदिर को भव्य स्वरूप दिया।

हालांकि पूर्व में प्रशासन ने यहां खनन की अनुमति दी तो इसका विरोध भी हुआ। दीवान सिंह, विजय कार्की, नरेंद्र डसीला ने बताया कि लगभग दो वर्ष पूर्व मंदिर की नींव में दरार दिखने पर तहसील प्रशासन को सूचना भी दी गई, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
बता दे कि अब मंदिर के पुजारी रघुवीर ने माता की मूर्ति को खिसका देखा और मंदिर का एक हिस्सा झुकने लगा तो भक्त चिंतित हो गए। उन्होंने मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री को भी पत्र भेजकर ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की अपील की है।
हालांकि इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष एक व्यक्ति की अकाल मौत होेने से लोग परेशान थे। तब आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने स्थानीय लोहारों से लोहे की नौ कढ़ाही बनवाई। ऊपर एक विशाल शिला रख दी।
बता दे कि एक पेड़ की जड़ में मां कालिका की स्थापना की। तब से यहां काल की आशंका समाप्त हो गई। वर्ष 1947 में यहां पर विधिवत रूप से मां कालिका का मंदिर बनाया गया और वर्ष 1998 में इसे भव्य रूप दिया गया। अभिलेखों के अनुसार यहां का इतिहास एक हजार वर्ष पुराना है।

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