इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि मृतक कर्मचारी के माता-पिता में से कोई एक पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत है, तो मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति अवैध मानी जाएगी। कोर्ट ने यह भी माना कि यदि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य को छुपाया है, तो यह नियुक्ति नियमों के खिलाफ है।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति प्राप्त करने के लिए परिवार की पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। यदि कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो यह नियुक्ति के लिए अर्हता को प्रभावित कर सकता है। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता की नियुक्ति को अवैध मानते हुए आदेश पर रोक लगा दी है।
यह निर्णय सरकारी विभागों में नियुक्तियों की पारदर्शिता और नियमों के पालन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। नागरिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे नियुक्ति के लिए सभी आवश्यक जानकारी सही तरीके से प्रस्तुत करें।