इलाहाबाद हाई कोर्ट का ‘संवेदनहीन’ बलात्कार पर निर्णय की आलोचना, समाज के लिए खतरनाक बताया गया

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले ने समाज में व्यापक विवाद और आलोचना को जन्म दिया है। कोर्ट ने एक मामले में कहा कि किसी महिला के स्तन को पकड़ना और उसके पायजामे की नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता, बल्कि यह महिला के नग्नता के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग की श्रेणी में आता है।

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री, अनुप्रिया पटेल ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे समाज के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस निर्णय की समीक्षा करने की अपील की, ताकि समाज में व्याप्त संवेदनशीलता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के निर्णय समाज में महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को लेकर गलत संदेश भेजते हैं। ऐसी कानूनी व्याख्याएं महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कम गंभीरता से लेने का संकेत देती हैं, जो समाज के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इस फैसले के बाद, न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशीलता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

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