पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस द्वारा जारी एक पत्र में बंगाली भाषा को ‘बांग्लादेशी भाषा’ कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे “अपमानजनक, राष्ट्र‑विरोधी और संविधान‑विरोधी” करार देते हुए कहा कि यह सभी बांग्लाभाषी भारतीयों का अपमान है। उन्होंने जनता से इस मुद्दे पर व्यापक विरोध की अपील की है।
पत्र में उल्लेख था कि गिरफ्तार किए गए आठ संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों के दस्तावेज “बांग्लादेशी भाषा” में हैं। इस आधार पर पुलिस ने “बांग्लादेशी राष्ट्रीय भाषा” जानने वाले अनुवादकों की मांग की थी ताकि दस्तावेजों का हिंदी और अंग्रेज़ी में अनुवाद कराया जा सके।
टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसे “सांस्कृतिक पहचान मिटाने का एक सुनियोजित प्रयास” बताया और संबंधित पुलिस अधिकारी के तत्काल निलंबन तथा गृह मंत्री अमित शाह से सार्वजनिक माफी की मांग की।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह “राष्ट्रगान की भाषा का प्रत्यक्ष अपमान” है क्योंकि राष्ट्रीय गान भी बांग्ला भाषा में है।
वहीं, बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालविया ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ अवैध नागरिकों की जांच और दस्तावेजी कार्रवाई का हिस्सा थी, ममता बनर्जी अनावश्यक रूप से इसे राजनीति का मुद्दा बना रही हैं।