पाकिस्तान से लौटे बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ के साथ पाकिस्तान रेंजर्स ने अमानवीय व्यवहार किया। सूत्रों के अनुसार, शॉ को 22 दिनों की हिरासत के दौरान आंखों में पट्टी बांधकर रखा गया, उन्हें नींद से वंचित किया गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
हालांकि, शारीरिक उत्पीड़न की कोई पुष्टि नहीं हुई है। उनकी रिहाई के बाद भारतीय अधिकारियों ने मेडिकल जांच, काउंसलिंग और डेब्रीफिंग की प्रक्रिया शुरू की है। इसमें शॉ से उनकी हिरासत के दौरान के अनुभवों के बारे में जानकारी ली जाएगी।
बीएसएफ ने इस मामले की जांच के लिए एक आधिकारिक समिति गठित की है। परिवार और स्थानीय समुदाय ने शॉ की सुरक्षित वापसी पर खुशी जताई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार व्यक्त किया है।
यह घटना भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर मानवीय अधिकारों के उल्लंघन की गंभीरता को दर्शाती है। इससे दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन और सैनिकों की सुरक्षा के मुद्दे पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।