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1 लाख हिंदू सम्मेलनों की संघ योजना पर मचा घमासान: क्या है असली मकसद? प्रवक्ताओं के बीच तीखी बहस

1 लाख हिंदू सम्मेलनों की संघ योजना पर मचा घमासान: क्या है असली मकसद? प्रवक्ताओं के बीच तीखी बहस

आरएसएस की सप्तदिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर देशभर में 1,03,000 से अधिक ‘हिंदू समाज सम्मेलन’ आयोजित करने का फैसला लिया गया है । इन सम्मेलनों का उद्देश्य “हिंदू समाज को साझा संस्कृति, heritage और सामाजिक एकता के मुद्दों पर सक्रिय करना” बताया गया है ।

आरएसएस के मीडिया प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि शहरी मंडलों में 58,964 और ग्रामीण बस्तियों में 44,055 स्थानों पर ये कार्यक्रम आयोजित होंगे । Dattatreya Hosabale ने इसे ‘विमर्श बदलने’ और “Panch Parivartan” के पांच स्तंभों—सामाजिक सद्भाव, सांस्कृतिक गौरव, परिवार मूल्यों, सतत जीवन, और नागरिक जिम्मेदारी—पर बोलचाल बढ़ाने का जरिया बताया ।

इस बहुपक्षीय पहल में दर –आरएसएस के स्वयंसेवकों द्वारा घर-घर संपर्क, शहरी व ग्रामीण केंद्रों से होता हुआ नागरिक सहभागिता बढ़ाने की तैयारियाँ की जा रही हैं । हालांकि ये कार्यक्रम “शुद्ध सामाजिक” बताए जा रहे हैं, लेकिन प्रवक्ता मानते हैं कि इसके राजनीतिक प्रभाव भी होंगे, क्योंकि “जागृति और संकल्प” अंततः सत्ता के समीकरण को बदल सकते हैं ।

वहीं आलोचक बहस करते हैं कि क्या ये पहल सांस्कृतिक समावेशिता को बढ़ाने का प्रयास है या हिंदुत्व-आधारित पहचान को संगठित करने की रणनीति। प्रवक्ताओं की तीखी बहस ने इस योजना को न केवल सामाजिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बहु-विवादित बना दिया है।

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