उत्तराखंड में नशा मुक्ति केंद्रों पर बड़ी सख्ती: बिना पंजीकरण चल रहे सभी सेंटर होंगे बंद, होगी भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई

उत्तराखंड सरकार ने अवैध रूप से संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्त रुख अपनाया है। राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (SMHA) के निर्देशानुसार अब सभी केंद्रों को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। वर्ष 2023 में लागू हुई मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के तहत बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे केंद्रों को तुरंत बंद करने, जुर्माना और कानूनी कार्रवाई करने की व्यवस्था की गई है ।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार, पंजीकरण की अंतिम तिथि इस माह समाप्त हो गई है और जिन सेंटरों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी । नई नियमावली में पहली बार उल्लंघन करने पर छह महीने की जेल और 10 हजार से 50 हजार रुपए का जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर दो साल जेल और 5 लाख तक जुर्माना का प्रावधान है । इसके अलावा पंजीकरण न कराने पर 25 हजार का जुर्माना भी लागू होगा ।

प्राधिकरण ने अब तक चार गैर-पंजीकृत केंद्रों को बंद कराया है, जिनमें से कुछ पर दुर्व्यवहार की शिकायतें भी आई थीं । वर्तमान में प्रदेश में लगभग 113 केंद्रों ने अस्थायी रूप से पंजीकरण कराया है, लेकिन स्थायी लाइसेंस प्रक्रिया अभी जारी है ।

इस कदम से सरकार का उद्देश्य नशे के पुनर्वास कार्यों को पारदर्शी एवं मानकीकृत बनाना और अनुचित व्यवहार तथा अवैध संचालन को रोकना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उस नीति के तहत प्रदेश को 2025 तक ‘ड्रग-फ्री’ बनाने की दिशा में यह एक गंभीर पहल है ।

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