दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अप्रवासी भारतीय नागरिक को उसकी 19 साल पुरानी कार को कबाड़ होने से बचाने की अनुमति दी है, बशर्ते वह 1.5 लाख रुपये का पार्किंग शुल्क अदा करे। यह निर्णय न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने सुनाया, जिन्होंने कहा कि घर, गाड़ी और पालतू जानवर इंसान की जिंदगी का हिस्सा होते हैं, और इनसे भावनात्मक जुड़ाव टूटना आसान नहीं होता।
यह मामला राजेश्वर नाथ कॉल से जुड़ा है, जो एक एनआरआई हैं। उन्होंने अपनी पुरानी कार को भारत लाया था, जो उनके लिए केवल एक वाहन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक थी। दिल्ली नगर निगम ने इस कार को कबाड़ घोषित कर दिया था, लेकिन अदालत ने उनकी भावनाओं को समझते हुए यह निर्णय लिया।
अदालत ने आदेश दिया कि स्क्रैप डीलर को 1.5 लाख रुपये का पार्किंग शुल्क अदा करने के बाद कार को वापस किया जाए। इससे यह सिद्ध होता है कि अदालतें केवल कानूनी पहलुओं पर नहीं, बल्कि मानवीय भावनाओं पर भी विचार करती हैं।