दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोना काल (मार्च 2020) के दौरान तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों को आश्रय देने के आरोप में दर्ज 16 एफआईआरों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कुल 70 भारतीय नागरिकों को राहत दी, जिन पर आरोप था कि उन्होंने महामारी के बीच धार्मिक सभा के दौरान स्थल में विदेशी जमातियों को रखा था। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि इन अभियोगों के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, और आरोप “प्रक्रिया के दुरुपयोग” के समान हैं।
इन आरोपों में IPC की धारा 188 (सरकारी आदेश का उल्लंघन), 269, 270 (सार्वजनिक स्वास्थ्य को जोखिमपूर्ण कार्य) के साथ महमारी और आपदा प्रबंधन कानून के तहत आरोप भी शामिल थे। कोर्ट ने पाया कि लॉकडाउन के दौरान लोगों का बाहर निकलना निषिद्ध था और उन्हें शारीरिक रूप से बाहर जाने की स्वतंत्रता नहीं थी—इसलिए यह कार्रवाई अनुचित थी ।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ना तो आरोपियों द्वारा कोई संक्रमित किया गया, और ना ही उन्होंने सरकारी आदेशों की जानकारी जानबूझकर लापरवाही से उल्लंघन किया था। इसलिए सभी आरोप निराधार माने गए और उन्हें तुरंत खारिज कर दिया गया ।