दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जिला अदालत के जज को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने यौन शोषण की पीड़िता को मामले में समझौता करने के लिए मजबूर किया। यह मामला सामने आने के बाद न्यायपालिका की निष्पक्षता और पीड़ितों के अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि सुनवाई के दौरान जज ने उस पर दबाव बनाया कि वह आरोपी से समझौता कर ले। पीड़िता के बयान को आधार मानते हुए उच्च न्यायालय ने तुरंत कार्रवाई की और जांच पूरी होने तक जज को निलंबित कर दिया।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी पीड़ित को उसकी इच्छा के विरुद्ध समझौते के लिए बाध्य करना न्याय और संविधान दोनों के खिलाफ है। मामले की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की गई है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय न्यायपालिका की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक था। इस कदम से यह संदेश भी जाता है कि किसी भी स्तर पर पीड़ित के अधिकारों से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।