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विशेष: समुद्र में चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ क्‍वॉड की शुरुआत साल 2004 में हुई थी

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यहां हम आपको बता दें कि अमेरिका की विस्तार वादी नीति से दुनिया के तमाम देश परेशान हैं. चीन का अड़ियल रवैया थल (जमीन) के अलावा समुद्री रास्तों पर भी दादागिरी दिखाता रहा है. समुद्री इलाकों में चीन प्रभाव कम करने के लिए क्‍वॉड का जन्म हुआ था. दरअसल क्‍वॉड की अनौपचारिक शुरुआत वर्ष 2004 में भारत में आई भीषण सुनामी के समय हुई थी.

इसके बाद वर्ष 2007 में जापान के तत्‍कालीन पीएम शिंजो आबे ने ‘क्‍वॉड’ की संकल्‍पना पर जोर दिया. क्‍वॉड का मकसद चीन की बड़ी चुनौती पर लगाम लगाना था. वर्ष 2017 में क्‍वॉड को और ज्‍यादा मजबूती मिली. अमेरिका की ट्रंप और अब बाइडन सरकार इसे बढ़ावा दे रही है. क्‍वॉड के चार सदस्‍य देश मार्च में वर्चुअल शिखर बैठक कर चुके हैं. भारत, जापान, ऑस्‍ट्रेलिया और अमेरिका की नौसेना मालाबार अभ्‍यास में साथ आ रही हैं.

यही नहीं जापान ने पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीप के पास चीन के दादागिरी के खिलाफ स्‍पष्‍ट तरीके से आवाज उठाई है. जापानी प्रधानमंत्री सुगा ने पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि चीन का सैन्‍य विकास हमारे देश की शांति और समृद्धि के लिए खतरा पैदा कर सकता है. उन्‍होंने अमेरिका के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया था.अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के शीर्ष नेता आज पहली बार एक साथ बैठकर ‘क्‍वॉड’ शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने जा रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन के बाद चीन पर जरूर लगाम कसी जाएगी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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