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क्‍वॉड के देश एकजुट: अमेरिकी धरती से चीन की दादागिरी पर लगेगी लगाम, पाक को भी मिलेगा कड़ा संदेश

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से चीन, पाकिस्तान में जबरदस्त खलबली मची हुई है. यह दोनों देश पीएम मोदी के हर ‘स्टेटमेंट’ (बयान) पर निगाहें लगाए हुए हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी के बाद चीन के प्रति अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों में अभी भी ‘गुस्सा’ देखा जा रहा है. इसका कारण है कि कई देश कोविड-19 वैश्विक महामारी को दुनिया में फैलने के लिए चीन को ही जिम्मेदार मान रहे हैं.

ऐसे ही पिछले महीने अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का खुलेआम तालिबान और आतंकवाद का खुलकर समर्थन करने से अमेरिका समेत कई देशों में जबरदस्त नाराजगी जताई थी. अमेरिका तो यहां तक मानता है कि अफगानिस्तान में सेना वापसी के दौरान उसकी विश्व भर में हुई ‘किरकिरी’ का जिम्मेदार पाकिस्तान ही है. बात को आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि 29 अगस्त की रात 20 साल बाद अमेरिकी सेना की आखिरी टुकड़ी का काबुल से रवाना हो रही थी तब तालिबान के लड़ाकों ने सड़कों पर आकर बंदूक से फायरिंग कर जश्न मनाया था, इससे यूएस ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अपने आप को ‘अपमानित’ भी महसूस किया था.

सबसे बड़ी बात यह है कि तालिबान का ‘रहनुमा’ बनने पर प्रधानमंत्री इमरान खान का चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी खुलकर समर्थन किया था. तालिबान के नेताओं, इमरान खान और शी जिनपिंग की जुगलबंदी से अमेरिका अपने आप को खतरा मान रहा है. अब अमेरिका के पास चीन और पाकिस्तान को जवाब देने का समय आ गया है. ऐसे ही भारत भी पड़ोसी चाइना और पाक को जवाब देने के लिए वाशिंगटन से ‘कड़ा संदेश’ देने के लिए तैयार है. ‌अमेरिका में आज क्वॉड देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों की पहली इन-पर्सन मीटिंग होनी है.

‘क्‍वॉड’ की इस बैठक पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देश अपनी नजरें गड़ाए बैठे हैं. इनमें से कई देश ऐसे हैं जो साऊथ चाइना सी में चीन की ‘दादागिरी’ से परेशान हैं लेकिन ठोस विकल्‍प के अभाव में ड्रैगन का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखेंगे. भारत की ये चिंता इसलिए लाजिमी है, क्योंकि क्वॉड में शामिल देशों में भारत ही है जिसकी सीमा चीन से लगती है और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी है. भारत ही नहीं बल्कि क्वॉड के बाकी तीनों देश भी चीन की नीतियों को लेकर चिंतित हैं. यही वजह है कि हिंद-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में चीन को कंट्रोल करने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने पिछले हफ्ते सुरक्षा समझौता किया है.

हालांकि, इसमें भारत और जापान शामिल नहीं हैं, बल्कि अमेरिका के साथ ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने यह पार्टनरशिप की है. फिर भी यह भारत और जापान के लिहाज से भी काफी अहम है, क्योंकि ये सभी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल पर लगाम लगाना चाहते हैं. दूसरी ओर अफगानिस्तान पर कब्जा करने और वहां से अमेरिका की शर्मनाक वापसी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा चरम पर है. अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को सजा देने की मांग कर रहे हैं. उन्हें पूरा भरोसा है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में भरोसा तोड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति पिछले दिनों कई बार प्रधानमंत्री इमरान खान को चेतावनी भी दे चुके हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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