अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल टैरिफ दर 50% हो गई है। इस मामले पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति को “राष्ट्रहित के खिलाफ” करार देते हुए देश में राजनीतिक हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि यह “डिप्लोमैटिक फेलियर” है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर प्रभाव पहुँचा सकता है। विशेषकर IT, फार्मा और वस्त्र क्षेत्र की निर्यात क्षमताओं पर इसका नकारात्मक असर होगा।
उधर, विपक्ष में शामिल अन्य नेताओं ने भी मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने इसे “आर्थिक ब्लैकमेल” बताया और प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे देशहित को अपनी कमजोरी पर हावी न होने दें। प्रशांत किशोर सहित कई नेता भी राय व्यक्त कर रहे हैं कि विदेश नीति में संवेदनहीनता और रणनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।
इस विवाद के बीच यह सवाल उठता है: क्या भारत इस दबाव में अपनी बाहरी नीति को अकेले ही रीसेट कर सकेगा, या अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक दृढ़ता से अपने हितों की रक्षा करेगा?