ओबामा से ट्रंप तक: अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों का विकास से विवाद तक का सफर

अमेरिका और भारत के व्यापार संबंधों में ओबामा प्रशासन के दौरान मजबूत साझेदारी से लेकर ट्रंप प्रशासन में बढ़ते तनाव तक का सफर देखा गया है। 2016 में ओबामा और मोदी के बीच “हाउडी मोदी” जैसे कार्यक्रमों ने दोनों देशों के रिश्तों को प्रगाढ़ किया। व्यापारिक मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा, जिससे द्विपक्षीय व्यापार 2023 में $212 बिलियन तक पहुंचा। भारत ने अमेरिका में $12.7 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किया, जिससे 70,000 से अधिक रोजगार सृजित हुए।

हालांकि, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद व्यापारिक रिश्तों में खटास आनी शुरू हुई। 2025 में ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाया, जिसे बाद में बढ़ाकर 50% कर दिया। इस कदम के पीछे कारण बताया गया कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जो रूस की युद्ध मशीनरी को समर्थन दे रहा है।

भारत ने इस कदम को अनुचित और असंगत बताते हुए विरोध जताया। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे कुछ देशों की ईर्ष्या का परिणाम बताया, जो भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से जलते हैं।

इस तनावपूर्ण माहौल में, भारत ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी पर पुनर्विचार किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने अमेरिका से नई हथियारों और विमानों की खरीदारी की योजनाओं को स्थगित कर दिया है।

इस प्रकार, ओबामा के समय की मजबूत साझेदारी से लेकर ट्रंप के समय के व्यापारिक तनाव तक, अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।

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