केंद्र सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) ढांचे में बड़ा बदलाव किया है। जहां बीड़ी पर कर घटाकर 18% कर दिया गया है, वहीं सिगरेट और गुटखा पर टैक्स दर बढ़ाकर 40% कर दी गई है। इस फैसले का सीधा असर उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों पर पड़ेगा।
जानकारों का कहना है कि बीड़ी उद्योग लंबे समय से कर छूट और राहत की मांग कर रहा था, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में गरीब और असंगठित श्रमिक काम करते हैं। बीड़ी पर टैक्स कम करने का मकसद इन्हीं कामगारों को राहत देना और इस उद्योग को बचाए रखना है।
वहीं दूसरी ओर, सिगरेट और गुटखा पर कर दर बढ़ाने के पीछे सरकार का मकसद खपत को नियंत्रित करना और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को कम करना है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा टैक्स से इन उत्पादों की खपत घट सकती है और लोगों को इनसे दूर रहने की प्रेरणा मिलेगी।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम सरकार को राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति को मजबूत करने में मदद करेगा। हालांकि, उद्योग जगत में इसे लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।