इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में तीन-न्यायाधीशों की इन‑हाउस जांच समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों को चुनौती दी है, जिसमें उनके सरकारी आवास से नकदी बरामद होने के आधार पर महाभियोग सिफारिश की गई थी। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया कि उन्हें “निष्पक्ष सुनवाई” का उचित अवसर नहीं मिला और प्रक्रिया “पूर्वाग्रहपूर्ण एवं असंवैधानिक” थी।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि 14 मार्च को दिल्ली के उनके सरकारी आवास में लगी आग के दौरान नकदी मिली, जिसे समिति ने उनकी “गुप्त या सक्रिय नियंत्रण” में बताया। समिति की रिपोर्ट को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को भेजते हुए महाभियोग की कार्यवाही की सिफारिश की थी।
वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से इस जांच प्रक्रिया को रद्द करने और CJI की सिफारिश को असंवैधानिक करने का अनुरोध किया है, यह मामला पार्लियामेंट के मानसून सत्र — जो 21 जुलाई से शुरू — में महाभियोग प्रस्ताव से पहले आया है।
इस कदम से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक प्रक्रिया पर बहस तेज हो गई है, जबकि कांग्रेस ने भी महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन के लिए MPs के हस्ताक्षर जुटाए हैं ।