पाकिस्तान ने हाल ही में शिमला समझौते को प्रभावी रूप से स्थगित करने का ऐलान किया है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ था। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्रों, खासकर कश्मीर, को लेकर बातचीत और शांति प्रक्रिया को सुनिश्चित किया था। पाकिस्तान द्वारा इसे रद्द करने के निर्णय से एक बार फिर क्षेत्रीय तनाव बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
भारत ने इस कदम को देश की संप्रभुता पर सीधा हमला मानते हुए इसे खारिज कर दिया है। पाकिस्तान ने इस समझौते को तर्क देते हुए यह कहा कि भारत ने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था, जिससे शिमला समझौते की स्थिति पर असर पड़ा। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम पाकिस्तान के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ने का खतरा है और भारत के साथ संबंधों में और अधिक तनाव बढ़ सकता है।
इस कदम से पाकिस्तान के द्वारा कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने की कोशिश को भी झटका लगा है, क्योंकि अब यह मुद्दा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय चर्चा का हिस्सा नहीं रहेगा।