राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज भारतीय विदेश सेवा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत वैश्विक उत्तर-दक्षिण असमानता, सीमा पार आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी प्रमुख चुनौतियों के समाधान में एक आवश्यक भागीदार है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दें और वैश्विक एकता को अपनाएं, ताकि 2047 तक ‘विकसित भारत’ की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।
राष्ट्रपति ने भारत को न केवल दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र, बल्कि एक स्थिर आर्थिक शक्ति भी बताया, जिनकी आवाज वैश्विक मंच पर प्रभावशाली है। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों को भारत का पहला चेहरा बताते हुए कहा कि उनके शब्द, क्रियाएं और मूल्य वैश्विक स्तर पर भारत की छवि प्रस्तुत करेंगे।
यह संबोधन भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और विदेश नीति में सक्रियता को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।