भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश में आई भीषण आपदा के बाद हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि “हिमाचल प्रदेश और समग्र हिमालयी क्षेत्र अस्तित्व संकट का सामना कर रहे हैं।” यह टिप्पणी मानसून के दौरान आई बाढ़, भूस्खलन और अवैध वनों की कटाई के मद्देनजर की गई। कोर्ट ने हिमाचल सरकार से पर्यटन, निर्माण, खनन, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, और पर्यावरणीय असंतुलन से संबंधित 44 सवालों का जवाब मांगा है।
राज्य सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि 2018 से 2025 के बीच हिमाचल प्रदेश में 434 अत्यधिक मौसम घटनाएँ हुई हैं, जिनमें 123 लोगों की जान गई है। इन घटनाओं में ग्लेशियरों का पिघलना और वर्षा में कमी जैसी समस्याएँ शामिल हैं, जो क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रही हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो हिमाचल प्रदेश नक्शे से गायब हो सकता है।
यह मामला न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र की पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकेत है।