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बांग्लादेश की जश्न-ए-आजादी के 50 साल पर भारत आज भी मजबूत ‘दोस्ती’ के साथ खड़ा

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विदेश की धरती पर जाने के लिए 16 महीनों का लंबा इंतजार । कोरोना की बंदिशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई विदेशी दौरे रद करने पड़े । आखिरी बार पीएम मोदी नवंबर 2019 में ब्राजील गए थे । अपने कई विदेशी दौरे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर भी रहे । आखिरकार पीएम मोदी 2 दिन 26 और 27 मार्च को देश से दूर रहेंगे ।

प्रधानमंत्री आज दिल्ली से 1450 किलोमीटर दूर बांग्लादेश रवाना हुए । पीएम बांग्लादेश में ऐसे समय जा रहे हैं जब एक बार फिर कोविड-19 की रफ्तार तेज होती जा रही हैं । यहां हम आपको बता दें प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा कूटनीतिक की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है ।

इसके साथ राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं । बात को आगे बढ़ाने से पहले बता दे कि आज भारत का पड़ोसी ‘बांग्लादेश अपनी आजादी के 50 साल पूरे होने पर जश्न मना रहा है’ । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस मौके पर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को ‘मुख्य अतिथि’ बनाया है । अपनी आजादी के जश्न के मौके पर बांग्लादेश ने अपने झंडे के साथ भारत का भी ‘तिरंगा’ लगाया हुआ है ।

लंबे अंतराल के बाद अपने विदेश दौरे को लेकर ‘पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल के बाद पहला विदेश दौरा है, इसलिए उत्साहित हूंं’। पीएम बांग्लादेश दूसरी बार जा रहे हैं, इससे पहले वर्ष 2015 में गए थे । बता दें कि बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।

पीएम का बांग्लादेश जाना इसलिए भी खास है, क्योंकि इस वर्ष भारत और बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों की भी 50वीं सालगिरह भी है । अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मंदिरों में पूजा-अर्चना करेंगे। इन मंदिरों को शेख हसीना सरकार ने खूब सजाया है। साथ ही वह बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान रहमान की जन्म शताब्दी के कार्यक्रमों में शामिल होंगे ।

दूसरी ओर सियासी दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की धरती से ही पश्चिम बंगाल और असम के वोटरों को भी रिझाएंगे । पश्चिम बंगाल और असम की सीमाएं बांग्लादेश से ही सटी है। दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं। 27 मार्च को बंगाल में पहले चरण के मतदान भी होने हैं ।

प्रधानमंत्री बांग्लादेश में मतुआ समुदाय के धार्मिक स्थल भी जाएंगे । बता दें कि इस समुदाय का बंगाल की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है । मतुआ समुदाय साल 1947 के बाद बांग्लादेश से बंगाल शरणार्थी के रूप में आए थे ।

1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका—

पूरा बांग्लादेश आजादी के जश्न में सराबोर है । ढाका शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है । लेकिन इस पड़ोसी देश के जश्न में भारत भी शामिल हो रहा है। 50 साल बाद भी आज हिंदुस्तान बांग्लादेश के साथ मजबूती के साथ खड़ा हुआ है ।

बता दें कि भारत और पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम पाकिस्तान की सरकार अपने तरीके से चला रही थी । पूर्वी पाकिस्तान पर पश्चिमी पाकिस्तान में कई बंदिशें से थोप दी थी । इस कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे।

पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के चलते तीन दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने पाक फौज पर हमला बोल दिया था। भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। बता दें कि बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका थी । शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का ‘फादर ऑफ द नेशन’ कहा जाता है ।

ढाका की सड़कों पर हर जगह शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीरें लगी हुई हैं। बांग्लादेश को आजाद कराने में शेख मुजीबुर्रहमान ने शुरुआत की थी। उन्होंने पाकिस्तान की गुलामी के खिलाफ आवाज उठाई थी। 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की आजादी का एलान शेख मुजीबुर्रहमान ने किया था।

मुजीबुर्रहमान को ‘बंगबंधु’ भी कहा जाता हैै। पाक के साथ युद्ध लड़ते हुए भारत ने बांग्लादेश को आजाद कराया था। 9 महीने चलने वाली जंग के बाद उस वक्त का पूर्वी पाकिस्तान एक आजाद देश बांग्लादेश बना। आपको बता दे कि पीएम शेख हसीना मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं ।

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