प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा निर्धारित 9 जुलाई की सीमा से पहले भारत–अमेरिका के बीच अगले 48 घंटे में एक ‘मिनी ट्रेड डील’ फाइनल होने की संभावना जताई जा रही है। यह समझौता वाशिंगटन में भारत सरकार की टीम द्वारा अंतिम दौर के वार्तालाप के बीच हो सकता है । दोनों पक्षों के बीच मुख्य बयानबाज़ी अमेरिका की ओर से आनुवंशिक संशोधित (जीएम) फसलों, डेयरी व कृषि उत्पादों का बाजार खोलने की मांग तथा भारत की ओर से जूते, चमड़ा, वस्त्र व अन्य श्रम-प्रधान निर्यातों पर टैरिफ में छूट की माँग के इर्द‑गिर्द केंद्रित है ।
भारत संवेदनशीलता के चलते गेहूं, चावल, दूध जैसे क्षेत्र में कोई समझौता नहीं चाहता, जबकि अमेरिका इन क्षेत्रों में पहुंच चाहता है । इसके विपरीत, भारत ने अमेरिकी अखरोट, क्रैनबेरी, चिकित्सा उपकरण, ऑटो पार्ट्स व ऊर्जा गुड्स पर टैरिफ कटौती में दिलचस्पी जताई है। व्यापारिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह समझौता रणनीतिक रूप से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को गति देगा और दिसंबर या वसंत तक एक व्यापक समझौते की राह प्रशस्त करेगा ।
इस बीच, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चेतावनी जारी की है कि यदि भारत कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ घटायेगा तो घरेलू किसानों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। कुल मिलाकर, समय की सीमाएँ और घरेलू संवेदनशीलताएँ इस समझौते को जटिल बना रही हैं, लेकिन समीकरण सुलझते दिख रहे हैं।