भारत ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन द्वारा भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम को लेकर किए गए दावों पर 6 बिंदुओं में स्पष्ट और सख्त प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी नेतृत्व के उन बयानों को खारिज किया है, जिनमें संघर्षविराम में अमेरिकी मध्यस्थता, व्यापार दबाव और कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की बात कही गई थी।
भारत की 6 प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
अमेरिकी मध्यस्थता का खंडन: भारत ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम है, जिसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
व्यापार दबाव से इनकार: भारत ने कहा कि संघर्षविराम के निर्णय में किसी भी प्रकार के व्यापारिक दबाव का कोई प्रभाव नहीं था।
कश्मीर मुद्दे पर चर्चा से इनकार: भारत ने दोहराया कि कश्मीर एक आंतरिक मामला है और इस पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।
संघर्षविराम की स्थिति: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने केवल सैन्य कार्रवाई को “विराम” दिया है, और यदि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो कार्रवाई फिर से शुरू हो सकती है।
आतंकवाद पर सख्त रुख: भारत ने कहा कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत तभी संभव है जब वह आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह से बंद करे।
संप्रभुता पर जोर: भारत ने कहा कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।
इस प्रतिक्रिया के माध्यम से भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति और सुरक्षा मामलों में किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए दृढ़ है।