मध्य प्रदेश का इंदौर शहर अब देश का पहला भिखारी-मुक्त शहर बन गया है। इंदौर प्रशासन ने भिखारियों के पुनर्वास और जागरूकता अभियानों के माध्यम से इस उपलब्धि को हासिल किया है। जिला मजिस्ट्रेट आशीष सिंह ने बताया कि एक साल पहले शहर में लगभग 5,000 भिखारी थे, जिनमें 500 बच्चे शामिल थे। अब इनकी संख्या शून्य हो गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया ने बताया कि भिखारियों का पुनर्वास करके उन्हें रोजगार से जोड़ा गया और बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, भिखारियों से जुड़ी जानकारी देने पर नागरिकों को 1,000 रुपये का इनाम भी दिया जा रहा है।
इंदौर में भीख लेने, देने और भिखारियों से सामान खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर अब तक तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और विश्व बैंक ने इंदौर के इस मॉडल को मान्यता दी है और इसे अन्य शहरों के लिए एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया है।