मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इंडसइंड बैंक में लगभग ₹2,000 करोड़ की लेखा चूक मामले में अपनी जांच को और विस्तृत किया है। सूत्रों के अनुसार, बैंक के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने बैंक की पुस्तकों में समायोजन करने की बात स्वीकार की है। इससे पहले, बैंक के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी गोविंद जैन ने 2015 से शुरू होकर बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखा चूकों की ओर इशारा किया था, जिससे लगभग ₹2,000 करोड़ का नुकसान हुआ। उन्होंने इन मुद्दों को मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसमें आंतरिक व्यापार (इंसाइडर ट्रेडिंग) के आरोप भी शामिल थे।
जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इन लेखा चूकों से लाभ उठाया, जिससे बैंक के शेयर की कीमत में वृद्धि हुई और आंतरिक व्यापार की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले, बैंक के सीईओ सुमंत कथपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने अप्रैल 2025 में इस्तीफा दे दिया था।
ईओडब्ल्यू ने अब तक 7-8 कर्मचारियों के बयान दर्ज किए हैं और बैंक के पूर्व शीर्ष अधिकारियों को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया है। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या इन समायोजनों ने बैंक के स्टॉक की कीमतों को प्रभावित किया और क्या इससे आंतरिक व्यापार के आरोप सही हैं।
यह मामला भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में कॉर्पोरेट गवर्नेंस और आंतरिक नियंत्रणों की गंभीर चुनौतियों को उजागर करता है, और इसके परिणामस्वरूप नियामक एजेंसियाँ और बैंकिंग पर्यवेक्षक अधिक सतर्क हो गए हैं।