जगन्नाथ रथ यात्रा आज पुरी में शुरू हुई, जहाँ लाखों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इस ऐतिहासिक तिरोहित महोत्सव को और भी मनोहारी बना दिया। सुबह ही सजीव परंपराओं के अनुसार भव्य पूजा-अर्चना के बाद तीनों रथ—भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के—‘सिंघद्वार’ से निकलकर बड़ा दंडा मार्ग पर गूंज उठे। भक्तों ने दिल खोलकर रथ को खींचा, रास्ते में पुष्पमालाओं और रंग-बिरंगे कपड़ों से सुशोभित रथों ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया।
आधुनिक सुरक्षा व्यवस्थाओं के अंतर्गत प्रशासन ने लगभग 10,000 सुरक्षा कर्मियों, एआई निगरानी कैमरों, ड्रोन तथा एनएसजी स्नाइपर्स की तैनाती की है ताकि भीड़ नियंत्रण किया जा सके और शांतिपूर्ण वातावरण बना रहे। मौसम विभाग ने आंशिक गरज-चमक और तेज हवाओं का अलर्ट जारी किया, जिसके मद्देनज़र नालियों की सफ़ाई और पंपिंग की विशेष व्यवस्था की गई है ।
तीन दिन की ऋतुशृंखला और ‘पाहँडी-पान्हरा’ जैसी पारंपरिक विधाओं ने भक्तों को घोर भावपूर्ण अनुभूति दी। इस नौ दिवसीय यात्रा में रथों का गुनदीचा मंदिर तक मार्ग और सात दिन बाद वापस आना शामिल है, जिसमें मां ओढ़र की सांस्कृतिक महत्ता झलकती है । पुरी का यह उत्सव आत्मा की शुद्धि, भक्ति की ऊँचाई और सांस्कृतिक समरसता का सजीव प्रमाण है।