भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस बृहस्पति रघुनाथ गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
जस्टिस गवई इस पद तक पहुंचने वाले पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले व्यक्ति बन गए हैं, जिससे यह नियुक्ति ऐतिहासिक बन गई है। वे वर्तमान CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद पर नियुक्त हुए हैं। जस्टिस गवई का कार्यकाल हालांकि छोटा होगा, क्योंकि वे इस वर्ष 17 नवम्बर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस गवई ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की और फिर बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।
उनकी यह नियुक्ति सामाजिक समावेशन और न्यायिक विविधता की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। जस्टिस गवई ने अपने पहले ही संबोधन में संविधान और न्यायपालिका की गरिमा को सर्वोपरि रखने की बात कही।