महाराष्ट्र की महायुति सरकार में आंतरिक मतभेद और गहराते जा रहे हैं। शिवसेना मंत्री तानाजी सावंत ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के मंत्रालय पर ‘अवैध’ निधि हस्तांतरण का आरोप लगाते हुए तीखी आलोचना की है। सावंत ने कहा कि उन्हें कैबिनेट बैठकों में एनसीपी नेताओं के साथ बैठने के बाद “उल्टी जैसा महसूस होता है”। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अजित पवार के मंत्रालय ने जिला योजना और विकास समिति (DPDC) की बैठक में शिवसेना विधायकों को आमंत्रित नहीं किया, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ा है।
इस विवाद के बीच, एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि यह समय है जब भाजपा को अजित पवार की पार्टी को महायुति से बाहर करना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस के भीतर भी अजित पवार के साथ गठबंधन को लेकर चिंता जताई गई है।
इससे पहले, अजित पवार ने एक कैबिनेट बैठक को बीच में छोड़ने के बाद उठे विवादों पर सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बैठक छोड़ी थी और महायुति में सब कुछ ठीक है।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि महायुति सरकार के भीतर सहयोगी दलों के बीच विश्वास की कमी और असंतोष बढ़ रहा है, जो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गठबंधन के लिए चुनौती बन सकता है।