प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत का पक्ष दुनिया के सामने रखने के लिए सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया है। हर दल 23 मई से अगले दस दिन अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, यूएई, दक्षिण अफ्रीका तथा कुछ यूरोपीय देशों की यात्रा करेगा। विदेश मंत्रालय ने सभी सांसदों को विस्तृत ब्रीफिंग देकर “शून्य सहनशीलता” तथा “सीमा-पार आतंकी ढांचे के प्रमाण” साझा किए हैं।
प्रतिनिधिमंडल व जिम्मेदारियां
शशि थरूर (कांग्रेस) – यूएन, वॉशिंगटन व न्यू यॉर्क थिंक-टैंक बैठकों में राजनीतिक-कूटनीतिक तर्क प्रस्तुत करेंगे; मानवाधिकार रिपोर्टों में पाक भूमिका उजागर करना मुख्य लक्ष्य।
रवि शंकर प्रसाद (भाजपा) – लंदन व ऑक्सफोर्ड में विधि और साइबर-आतंकवाद पर भारत का केस रखेंगे; प्रवासी भारतीय संगठनों को जोड़ेंगे।
सुप्रिया सुले (राकांपा-शरद पवार) – टोक्यो व ओसाका में संसद बंधुत्व समूहों से संवाद; जापानी निवेशकों को आतंकी जोखिम से अवगत कराना।
कनिमोझी (डीएमके) – दक्षिण अफ्रीका व नामीबिया में BRICS-पार्लियामेंट्री मंच पर दक्षिण-दक्षिण सहयोग और भारतीय समुद्री सुरक्षा दृष्टि प्रस्तुत करेंगी।
बैजयंत ‘जयर’ पांडा (भाजपा) – अबू धाबी व दुबई में ओआईसी सदस्य देशों के सांसदों से मुलाक़ात; फंडिंग ट्रैकिंग पर डेटा साझा करना।
संजय कुमार झा (जद-यू) – ब्रसेल्स व हेग में ईयू संसद समिति ब्रीफिंग; FATF मानकों पर भारत की अपेक्षाएँ स्पष्ट करना।
श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना शिंदे गुट) – सिडनी व मेलबर्न में प्रवासी युवा कार्यक्रम; सोशल-मीडिया नैरेटिव निर्माण पर नजर।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद वैश्विक माहौल भारत के पक्ष में है और यह पहल विपक्ष-सहित राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद-पीड़ित परिवारों की गवाही, पुलवामा-उरी जैसे मामलों के न्यायिक दस्तावेज व ड्रोन-हमलों के सैटेलाइट चित्र भी साथ ले जाएगा। यात्रा समाप्त होने के बाद सातों दल संयुक्त रिपोर्ट संसदीय स्थायी समिति (विदेश कार्य) को सौंपेंगे, जिसके आधार पर सरकार अगला राजनयिक रोडमैप तय करेगी।