नेपाल में जनरल ज़ेड (Generation Z) के छात्रों और युवाओं द्वारा शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुका है। मृतकों की संख्या 34 तक पहुँच गई है और 1,000 से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ठोस कदम उठाने की मांग की है।
काठमांडू, पोखरा और बिराटनगर जैसे प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कई सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे कई लोग घायल हो गए।
सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना को तैनात किया है और कर्फ्यू भी लागू किया है। हालांकि, प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं और आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दे रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन नेपाल की युवा पीढ़ी की बढ़ती राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक असंतोष को दर्शाता है। सरकार के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन गई है, क्योंकि यह आंदोलन केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैल चुका है।
नेपाल के लिए यह समय संवेदनशील है, और यदि सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है।