नेपाल में सितंबर 2025 में युवा नेतृत्व वाली ‘जनरेशन Z’ ने भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और डिजिटल सेंसरशिप के खिलाफ ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन किए। यह आंदोलन सरकार द्वारा प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुआ। सरकार का दावा था कि यह कदम ऑनलाइन धोखाधड़ी और नफ़रत फैलाने वाली सामग्री को रोकने के लिए था, लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना।
प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भवनों को आग के हवाले किया, संसद पर धावा बोला और प्रधानमंत्री के घरों को निशाना बनाया। इस हिंसा में 19 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हुए। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन आंदोलन जारी रहा।
आर्थिक संकट भी युवाओं की नाराज़गी का कारण था। देश की 20% से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है और युवाओं की बेरोज़गारी दर 22% से अधिक है। राजनीतिक भ्रष्टाचार और नेताओं के परिवारों की विलासिता ने आक्रोश को और बढ़ाया।
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जो एक युवा और भ्रष्टाचार विरोधी नेता हैं, ने शांति की अपील की है और युवाओं से सक्रिय रूप से राजनीति में भाग लेने का आह्वान किया है। नेपाल अब एक नए राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है, जहाँ युवाओं की आवाज़ निर्णायक भूमिका निभा सकती है।