Home एक नज़र इधर भी नई स्टडीः जाने क्यों कम-ज्यादा महसूस होती है Everest की ऊंचाई

नई स्टडीः जाने क्यों कम-ज्यादा महसूस होती है Everest की ऊंचाई

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माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ है लेकिन एक नई स्टडी इसे गलत साबित कर रही है. इसके मुताबिक पाकिस्तान में स्थित के2 पहाड़ एवरेस्ट से बड़ा है. यह स्टडी अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की न्यूज ब्लॉग ईओएस में प्रकाशित हुई है.

इस स्टडी में एवरेस्ट की ऊंचाई के2 से कम होने की जो वजह बताई गई है, वो बेहद हैरान करने वाली है.ब्रिटेन के लोबोरो यूनिवर्सिटी (Loughborough University) के पर्यावरण वैज्ञानिक टॉम मैथ्यूज कहते हैं कई बार ऐसा हुआ है और होता रहता है कि जब के2 (K2 Mountain) माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) को ऊंचाई के मामले में छोटा कर देता है.

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई कम-ज्यादा होती रहती है. इस हैरतअंगेज स्टडी से माउंट एवरेस्ट को देखने का नजरिया बदल जाएगाइस स्टडी में टॉम मैथ्यूज और उनकी टीम ने माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) और के2 (K2 Mountain) पर पड़ने वाले हवा के दबाव का अध्ययन किया.

इस स्टडी में 40 वर्षों का डेटा कलेक्ट किया गया. डेटा कलेक्ट करने के लिए दोनों पहाड़ों के आसपास स्थित मौसम केंद्रों और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के कॉपरनिकस सैटेलाइट (Copernicus Satellite) की मदद ली गईस्टडी में बताया गया है कि साल 1979 से साल 2019 तक कुल 177 लोग बिला सप्लीमेंटल ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़े. इसमें 8 महिलाएं और 169 पुरुष थे.

सप्लीमेंटल ऑक्सीजन का मतलब होता है बोतलबंद ऑक्सीजन से सांस लेना. 7000 मीटर की ऊंचाई पर जाने के बाद इस ऑक्सीजन की जरूरत आमतौर पर पड़ती है.टॉम बताते हैं कि जैसे-जैसे आप माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) या के2 (K2 Mountain) जैसे पहाड़ों पर चढ़ते हैं.

ऊंचाई के साथ हवा का दबाव कम होता है. हवा के दबाव से ही ऑक्सीजन के मॉलीक्यूल सीधे तौर पर जुड़े है. पहाड़ों पर पतली हवा की परत होती है. इसमें ऑक्सीजन मॉलीक्यूल्स का स्तर अत्यधिक कम हो जाता है. इसलिए ऐसी ऊंचाई पर सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. टॉम कहते हैं कि हवा के दबाव की वजह से के2 (K2 Mountain) कभी-कभी माउंट एवरेस्ट से ऊंचा हो जाता है.

ये जानकारी किसी को इसलिए नहीं मिल पाती क्योंकि ज्यादातर पर्वतारोही अच्छे समय में इन पहाड़ों पर चढ़ते हैं. अच्छा समय यानी मौसम बिगड़ने के आसार कम होते हैं और ऑक्सीजन लेवल ठीक रहता है. ज्यादातर पहाड़ों पर चढ़ाई मई या अक्टूबर के महीने में होती है.

पाकिस्तान और चीन की सीमा पर स्थित काराकोरम रेंज का सबसे ऊंचा पहाड़ है के2 (K2 Mountain). साल 1953 में महान पर्वतारोही जॉर्ज बेल ने कहा था कि ये एक सैवेज माउंटेन है. यह आपकी जान लेने की कोशिश करता है.

दुनिया के पांच सबसे ऊंचे पहाड़ों में सबसे ज्यादा खतरनाक और जानलेवा पहाड़ है के2 (K2 Mountain). यहां जाने वाले हर चार पर्वतारोही में से एक की मौत तय मानी जाती है.

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