पद्मश्री हास्य‑व्यंग्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे (72 वर्ष) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन की पुष्टि परिवार ने सोशल मीडिया पर की। सुरेंद्र दुबे को हास्य कविता की नई शैली लाने और व्यंग्य की धार देने के लिए 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
छत्तीसगढ़ के बीेमेतरा में 8 जनवरी 1953 को जन्मे दुबे जी समय-समय पर कविता मंच और टीवी कार्यक्रमों में अपनी उपस्थित दर्ज कराते रहे। उन्होंने पांच किताबें लिखीं और “टेंशन में मत रहना बाबू टाइगर अभी जिंदा है” जैसी चर्चित रचना लिखकर खुद अपनी मौत की झूठी अफवाहों का जवाब भी दिया था।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साईं समेत साहित्य जगत व जनता में शोक की लहर दौड़ गई है। दुबे जी न सिर्फ हास्य के मास्टर थे, बल्कि एक प्रशिक्षित आयुर्वेद चिकित्सक भी थे, जिन्होंने अपने हास्य के जरिए समाज को सोचने पर मजबूर किया।
उनकी मृत्यु से हिंदी और छत्तीसगढ़ी हास्य‑व्यंग्य जगत को एक अमिट क्षति पहुंची है। उनके बिना साहित्य की और सांस्कृतिक दुनिया थोड़ी उदास जरूर होगी, लेकिन उनके शब्द हमेशा मुस्कान के साथ जीवन के सच बोलते रहेंगे।