२५ जुलाई २०२५ को संसद के मानसून सत्र के दिवस-५ की शुरुआत से ही विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहा, विशेष रूप से बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR) को लेकर। विरोध प्रदर्शन के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों स्थगित करनी पड़ी, क्योंकि विपक्ष ने इसे दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों के मताधिकार को खत्म करने वाला बताया है ।
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोलते हुए इसे “चुनाव चोरी की रणनीति” बताया और आरोप लगाया कि उनके पास “100% सबूत” हैं कि कर्नाटक में वोटरों की सूची में धांधली की गई है । सांसदों ने संसद परिसर में SIR की प्रतियां फाड़कर डस्टबिन में फेंकी, जिसका नेतृत्व राहुल और प्रियंका गांधी ने किया—यह विरोध प्रदर्शन बेहद नाटकीय और प्रतीकात्मक रहा ।
विपक्ष ने संसद के मकर द्वार पर भी जमकर प्रदर्शन किया, जहां अखिलेश यादव सहित अन्य INDIA ब्लॉक नेता शामिल रहे । विपक्ष ने Rule 267 के तहत Suspension of Business नोटिस देकर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन इसे निरस्त किया गया, जिससे विरोध तेज़ हुआ ।
विपक्ष का कहना है कि SIR से मतदाताओं को सूची से बाहर करने की प्रक्रिया की जा रही है। सरकार और चुनाव आयोग इसे निर्विवाद ‘स्वच्छता अभियान’ बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र के हत्यारोपण के समान मानता है ।