पटना नगर निगम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसे लोग अब ‘डॉग बाबू’ घोटाले के नाम से जान रहे हैं। दरअसल, एक युवक को नगर निगम के डॉग कैचर (कुत्ता पकड़ने वाले) पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन बाद में जांच में खुलासा हुआ कि उसने फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और तत्काल उसका प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया।
इस मामले में पटना नगर निगम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए केवल आवेदक ही नहीं, बल्कि संबंधित कंप्यूटर ऑपरेटर और एक पदाधिकारी के खिलाफ भी FIR दर्ज कराई है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि उक्त कर्मचारी की भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितता हुई थी, और प्रमाण पत्र जाली पाए गए हैं।
नगर आयुक्त के अनुसार, मामले में दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह घटना केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में फैली लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक झलक है। प्रशासन ने अब अन्य प्रमाण पत्रों की भी जांच शुरू कर दी है।