प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के भावनगर में आयोजित ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम के दौरान देश की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में विदेशी निर्भरता को बताया और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के सिद्धांतों पर ज़ोर दिया है।
मोदी ने कहा कि भारत का कोई बड़ा दुश्मन नहीं है, बल्कि वह स्वयं विदेशी देशों पर ज़्यादा आश्रित होना है।उन्होंने यह भी कहा कि जितना अधिक हम बाहरी स्रोतों पर निर्भर होंगे, उतने ज़्यादा हमारे अस्तित्व पर संकट आएगा।
उनकी इस बात की पृष्ठभूमि वैश्विक व्यापार तनाव और “import-exports imbalance” की स्थिति है, जहाँ कई घरेलू जरूरतें विदेशी उत्पादन और आयात पर टिकी हुई हैं। मोदी ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे “Made in India” उत्पादों को अपनाएँ और देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में योगदान दें।
प्रधानमंत्री ने यह भी कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया और नींव रखी, जो लगभग ₹34,200 करोड़ की हैं, जिनका उद्देश्य बंदरगाह, ऊर्जा, स्वास्थ्य, परिवहन और शहरी विकास के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को सशक्त करना है।
उनकी यह अपील देश की स्वावलंबन की भावना को जागृत करने की है — ताकि भारत भविष्य में आर्थिक, तकनीकी और रणनीतिक क्षेत्र में खुद पर भरोसा कर सके।