प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह में संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि घुसपैठ और बाहरी ताकतों से देश की एकता को खतरा रहा है, लेकिन आज का सबसे बड़ा संकट जनसांख्यिकीय बदलाव है जो सामाजिक समानता को कमजोर कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा “विविधता में एकता” है, लेकिन जातिवाद, भाषा, क्षेत्रवाद और उग्रवाद जैसी विभाजनकारी शक्तियाँ यदि न रोकी गईं, तो राष्ट्र की ताकत कमजोर हो सकती है। प्रधानमंत्री ने सामाजिक समानता को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पहले, स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने “उच्च-स्तरीय जनसांख्यिकीय मिशन” की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य सीमा क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलावों की चुनौतियों से निपटना है। उन्होंने कहा था कि “घुसपैठिए हमारे युवाओं की आजीविका छीन रहे हैं, हमारी बहनों और बेटियों को निशाना बना रहे हैं, और निर्दोष आदिवासियों को गुमराह कर उनकी ज़मीन कब्ज़ा रहे हैं। यह सहन नहीं किया जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि “जब जनसांख्यिकीय बदलाव होता है, विशेषकर सीमा क्षेत्रों में, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट उत्पन्न करता है। यह राष्ट्र की एकता, अखंडता और प्रगति को खतरे में डालता है। यह सामाजिक तनाव के बीज बोता है।”