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प्रकाश पर्व: बलिदान-वीरता का देशवासी पहली बार लाल किले से पीएम मोदी का आज रात सुनेंगे संबोधन

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आज गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. भारत के साथ दुनिया के कई देशों में गुरुद्वारों में शबद कीर्तन का पाठ आयोजित किए जा रहे हैं. प्रकाश पर्व पर लाखों लोग गुरु तेग बहादुर के बलिदान और वीरता को याद कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली स्थित लाल किले में भी सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी का समारोह धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. ‌लाल किले में कई दिनों से तैयारियां चल रही थी. लालकिला रोशनी से जगमगाया है. आज गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व के मौके पर शाम को खास आयोजन होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शाम को यहां पहुंचेंगे. पीएम मोदी गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर लाल किले से आज रात 9:15 बजे उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे. यह पहली बार ऐसा मौका होगा जब किसी प्रधानमंत्री का लाल किले से रात में संबोधन होगा. पीएम मोदी संबोधन लाल किले की प्राचीर से नहीं बल्कि लॉन से करेंगे.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी सिख गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से किया जा रहा है. इस दो-दिवसीय (20 और 21 अप्रैल) कार्यक्रम के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चे ‘शबद कीर्तन’ में भाग लेंगे. पहली बार प्रकाश पर्व पर लाल किला पर बुधवार शाम लेजर लाइट शो के जरिए लोगों को सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी के जीवन दर्शन भी हुए.

गुरु तेग बहादुर को वीर योद्धा के रूप में किया जाता है याद

बता दें कि गुरु तेग बहादुर का जन्म 18 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था. गुरु तेग बहादुर सिंह जी को एक बहादुर योद्धा के रूप में याद किया जाता है. गुरु तेग बहादुर के मानवता, बहादुरी, मृत्यु, गरिमा के विचारों को गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भी किया गया है. उनके बचपन का नाम त्यागमल था. महज 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी. उनके वीरता के इस परिचय के बाद उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर रख दिया था. बचपन से ही वह संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर और निर्भीक स्वभाव के थे. गुरु तेग बहादुर सिंह मुगलों द्वारा हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाए जाने के सख्त खिलाफ रहे. उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था. औरंगजेब के शासनकाल में लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया जा रहा था. उस समय उन्होंने इसका विरोध किया. जिसके बाद औरंगजेब के आदेश के अनुसार दिल्ली में उनकी हत्या कर दी गई थी. जहां उनकी हत्या की गई वहां बाद में गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब नाम के सिख पवित्र स्थानों में बदल दिया गया. बता दें कि वर्ष 1665 में गुरु तेग बहादुर जी ने आनंदपुर साहिब नाम के शहर बसाया था.

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