छत्तीसगढ़ पुलिस ने योग गुरु रामदेव के कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथी दवाओं के खिलाफ कथित बयान को लेकर दर्ज FIR में बंदी रिपोर्ट दाखिल की है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस मामले में जांच पूरी कर ली है और कोई अपराध नहीं पाया गया है।
केंद्र के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि शिकायतें “कुछ स्वार्थी समूहों द्वारा प्रायोजित” प्रतीत होती हैं। रामदेव के अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने बताया कि छत्तीसगढ़ ने पहले की अदालत की निर्देशों के अनुसार अपनी रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि बिहार ने अभी तक अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में निर्धारित की है।
यह विवाद 2021 में शुरू हुआ था, जब भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की पटना और रायपुर शाखाओं ने रामदेव के बयान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उनके बयान से कोविड नियंत्रण उपायों को नुकसान हो सकता है और लोग उचित इलाज से हतोत्साहित हो सकते हैं।
रामदेव ने बाद में अपने बयान को वापस लिया और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से माफी मांगी थी। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने भी इस मामले में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी थी, आरोप लगाते हुए कि रामदेव ने एलोपैथी का अपमान किया और लोगों को टीकों और उपचार प्रोटोकॉल की अवहेलना करने के लिए उकसाया।