सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी मिलने के आरोपों पर अपनी जांच रिपोर्ट 4 मई 2025 को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंपी। यह रिपोर्ट 14 मार्च को दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास में आग लगने के बाद की गई जांच का हिस्सा है, जिसमें कथित रूप से नकदी मिलने का मामला सामने आया था।
पैनल में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। उन्होंने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को इसे CJI को सौंपा। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने भी इस मामले पर प्रारंभिक जांच की थी।
जस्टिस वर्मा ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, वह उनके मुख्य आवास से अलग एक बाहरी कक्ष था, जिसे परिवार के सदस्य या उनके द्वारा कभी उपयोग नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कमरे में रखी गई नकदी उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य की नहीं थी।