बिहार वोटर लिस्ट संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: “समस्या प्रक्रिया नहीं, उसका समय है”

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया में समय (Timing) को सबसे बड़ी समस्या बताया। न्यायमूर्ति सुधांशु ढुलिया ने कहा, “आपका अभ्यास (exercise) गलत नहीं है, उसकी समय-संयोजना ख़राब है” — क्योंकि इससे लाखों मतदाताओं को वोटिंग से पहले हटाया जा सकता है और उनके पास आपत्ति दर्ज कराने का समय नहीं होगा ।

न्यायमूर्ति जोयमल्या बघची ने सवाल उठाया कि SIR को विधानसभा चुनाव से बचकर क्यों नहीं कराया गया — “यह चुनाव से अलग रूप में क्यों नहीं हुआ?”

बेंच ने कहा कि प्रक्रिया संविधानिक है और गैर-नागरिक मतदाताओं को हटाना ज़रूरी है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले इसे लागू करने से कुछ कमजोर वर्गों, जैसे गरीब, प्रवासी और दूरदराज़ के लोगों की वॉइस खो सकती है ।

इस दौरान उच्च न्यायालय ने Aadhaar और Voter ID को दस्तावेज़ सूची से बाहर रखने पर भी सवाल खड़े किए, यह बताते हुए कि यह गृह मंत्रालय के क्षेत्राधिकार का मुद्दा है।

अब अदालत ने चुनाव आयोग (EC) को तीन सवालों के जवाब देने को कहाः क्या SIR कानूनी है? पुनरीक्षण प्रक्रिया कैसे होगी? और इसे चुनाव से पहले क्यों कराया?

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