देहरादून में आयोजित ऑटिज़्म जागरूकता सेमिनार, विशेषज्ञों ने बेहतर सहयोग और समझ की उठाई मांग

देहरादून में रविवार को एक विशेष ऑटिज़्म जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें चिकित्सा विशेषज्ञों, मनोवैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) को लेकर जागरूकता फैलाना और प्रभावित बच्चों एवं परिवारों को बेहतर सहयोग उपलब्ध कराना था।

सेमिनार के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि ऑटिज़्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक न्यूरो-डेवलपमेंटल कंडीशन है, जिसकी समय पर पहचान और उचित सहायता से बच्चों का जीवन बेहतर बनाया जा सकता है। वक्ताओं ने सरकार से अपील की कि स्कूलों और अस्पतालों में ऑटिज़्म से जुड़े विशेष संसाधन और प्रशिक्षित स्टाफ उपलब्ध कराए जाएं।

अभिभावकों ने भी अपने अनुभव साझा किए और बताया कि सामाजिक समझ की कमी के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कार्यक्रम में विशेष सत्रों के माध्यम से ऑटिज़्म के लक्षण, उपचार विकल्प, और व्यवहारिक सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

यह सेमिनार समाज में समावेशिता, करुणा और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे विशेष बच्चों को भी समान अवसर और सम्मान मिल सके।

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