लखनऊ हाईकोर्ट ने श्रवण साहू हत्या मामले में दो दोषियों—बाबू खान और अजय पटेल—को सुनियोजित साज़िश के कमज़ोर सबूत पर जमानत दी। कोर्ट ने बाबू खान को सह‑आरोपी अजय पटेल की अप्रैल 2025 में दी गई जमानत के आधार पर समान मामलों में न्याय की दृष्टि से बरी किया, यह देखते हुए कि आरोप पत्र में साज़िश का पर्याप्त प्रारंभिक प्रमाण नहीं है।
विशेष CBI कोर्ट ने अगस्त 2024 में आठ आरोपियों को जीवन कैद और 1.1 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसमें बाबू खान भी शामिल थे। सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में दाख़िल अपील की सुनवाई लंबित है, और कोर्ट ने तर्क दिया कि इस समय जमानत देने से अपील प्रक्रिया पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा । अदालत ने बाबू खान को 1 लाख रुपये स्वयं और दो मार्शलशिप जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
श्रेणी 120‑बी (साज़िश) और 302 (हत्या) के अंतर्गत मुकदमा चल रहा है, लेकिन हाईकोर्ट ने प्राथमिक साक्ष्यों पर सवाल उठाकर “परिटी” सिद्धांत और अभियोजन की कमजोरी को रिहाई का आधार माना। न्यायमंडल ने स्पष्ट किया कि अभी मुकदमों की गहराई से सुनवाई नहीं हुई है, इसी कारण पक्षकारों को कोर्ट का निर्णय प्रत्यक्ष प्रभावित नहीं करेगा।
यह फैसला उच्च न्यायालय में आगामी सुनवाईयों और अभियोजन पक्ष की रणनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आगे की कानूनी प्रक्रिया अब बड़ी ध्यानचंद होगी।