उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में 5 अगस्त को आई बाढ़ को शुरुआत में क्लाउडबर्स्ट माना गया था, लेकिन अब वैज्ञानिकों व ग्लेशियोलॉजी विशेषज्ञों ने माना है कि यह घटना शायद lakeburst (ग्लेशियल झील फटने) या glacier collapse के कारण हुई, न कि भारी बारिश की वजह से ।
विश्लेषण में सामने आया कि क्षेत्र में भारी बारिश नहीं, बल्कि ग्लेशियर से गिरा हिम-स्नोव तथा भू-स्खलन पानी के साथ अचानक नीचे आया, जिससे एक उपरी झील फट गई और खीरगंगा नदी तटबन्धित क्षेत्र में विभीषिका मचा दी ।
इस प्रकोप में अब तक कम से कम चार मौतें हुई हैं और लगभग 100 लोग लापता बताए जा रहे हैं। कई घर, होटल, दुकानें बह गई हैं तथा दलदल जैसे मलबे ने गाँव को चारों ओर घेरे रखा ।
भारतीय सेना, NDRF, SDRF और ITBP की टीमें राहत‑बचाव में जुटी हैं। अब तक लगभग 60 से 130 लोग सुरक्षित निकाले गए हैं । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर संवेदना व्यक्त करते हुए तत्काल मदद का भरोसा दिलाया ।
विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल झीलें और हिमस्खलन बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास ऐसे हादसों की संभावना को तेजी से बढ़ा रहे हैं ।