उत्तराखंड के दूरदराज पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण 43 दिनों से बंद सड़कों ने ग्रामीणों की ज़िन्दगी मुश्किल बना दी है। चमोली की निजमूला घाटी से पाणा, गौणा और ईरानी जैसे गांवों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति खच्चर और घोड़े से हो रही है, जिससे महंगाई बढ़ गई है।
इन गांवों में एक रसोई गैस सिलेंडर की कीमत अब ₹2,000 तक पहुंच गई है, जबकि चीनी और नमक जैसी दैनिक उपयोग की चीज़ें ₹60 प्रति किलो तक बिक रही हैं। पहले ₹942 का सिलेंडर अब ₹1,200 से ₹1,500 के बीच था, लेकिन अब अतिरिक्त ₹600 माल भाड़ा जोड़ने पर इसकी लागत ₹2,000 तक हो गई है। मंहगाई का असर पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, देहरादून – नैनीताल तक महसूस हो रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि यदि स्टॉक खत्म होने पर किसी वस्तु की आवश्यकता पड़ जाए, तो मौजूदा दरों पर अतिरिक्त भाड़ा खर्च करना पड़ता है। जैसे- एक किलो चीनी और नमक पर लगभग १०% तक की उछाल आ चुकी है। स्वास्थ्य या अन्य गम्भीर स्थिति में यह व्यवस्था और मुश्किल हो जाती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह समस्या मुख्य रूप से टिहरी, चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में सीमांत गांवों में देखने को मिल रही है, जहां सड़क संपर्क न होने की वजह से लोग बढ़ी कीमत चुकाने को मजबूर हैं।