उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते नदियों में गाद (सिल्ट) की मात्रा इतनी बढ़ गई कि राज्य की कई जलविद्युत परियोजनाएं अस्थायी रूप से बंद करनी पड़ीं। इससे करीब 646 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गया, जिससे पूरे प्रदेश में आपातकालीन बिजली कटौती लागू करनी पड़ी।
सबसे पहले उत्तरकाशी जिले में मनेरी-भाली I & II पावर प्रोजेक्ट बंद हुए। इसके बाद देहरादून क्षेत्र के छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर, व्यासी, और यूएसनगर के खटीमा पावर हाउस भी बंद कर दिए गए। जैसे ही नौ पावर स्टेशन एक‑एक कर बंद हुए, यूपीसीएल का ग्रिड सिस्टम चरमराया और नेशनल ग्रिड से अतिरिक्त बिजली लेने का प्रयास असफल रहा ।
यूजेवीएन लिमिटेड ने स्पष्ट किया कि जब नदियों में सिल्ट स्तर 3,000 PPM से ऊपर पहुंच जाता है, तो मशीनों की सुरक्षा के लिए बिजली उत्पादन रोकना पड़ता है। उदाहरण के लिए, टौंस नदी पर सिल्ट स्तर 12,060 PPM, व्यासी बांध पर 7,750 PPM, और डाकपत्थर बैराज पर 30,000 PPM तक पहुंच गया था ।
हालांकि सिल्ट स्तर सामान्य होने पर कुछ पावर हाउस जैसे छिबरो और खोदरी को 22 जुलाई की सुबह से विद्युत उत्पादन फिर से शुरू कर दिया गया। अन्य बिजली घरों में भी नदी में गाद कम होते ही उत्पादन बहाल करने की तैयारी चल रही है।
यूजेवीएन के अधिकारियों ने बताया कि यह कदम एक सावधानीपूर्ण रणनीति है ताकि अत्यधिक गाद से मशीनरी और बांधों को होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके। वर्षाकाल में पहले से तैयार योजना के अनुसार उत्पादन को गाद स्तर के अनुसार नियंत्रित किया जा रहा है ।