उत्तराखंड सचिवालय में वर्षों से एक ही जगह तैनात कई अधिकारी‑कर्मचारी नई स्थानांतरण नीति 2025 के बावजूद तबादलों से वंचित रहे। नीति के तहत वार्षिक ट्रांसफर प्रक्रिया में विभागों को 31 जुलाई 2025 तक अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले करने थे, लेकिन यह अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद कोई भी तबादला नहीं हुआ है
इस नई नीति में यह स्पष्ट था कि एक विभाग या अनुभाग में अधिकारी‑कर्मचारी अधिकतम पांच वर्ष से अधिक समय तक नहीं रह सकते। इसमें श्रेणी‑क, ख, ग के अधिकारियों और कंप्यूटर सहायकों पर विशेष नियम लागू किए गए थे, जिससे तैनाती अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाई जा सके। साथ ही, एक अप्रैल को कटऑफ मानी जानी थी और तीन दिन में नए पद पर ज्वाइन करना अनिवार्य होना था
पूर्व सचिवालय संघ अध्यक्ष दीपक जोशी ने इस नीति की आलोचना करते हुए कहा कि नीति बनाते समय कर्मचारी प्रतिनिधियों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया और इसकी निरंतर प्रभावशीलता पर संदेह है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी भी नृशब्द चेहरों के आधार पर तबादले किए जा रहे हैं और पारदर्शिता नहीं दिख रही है ।
तबादलों की अनुपस्थिति से नीति के उद्देश्य और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं। सचिवालय प्रशासन द्वारा अब बाद में स्थिति के अनुसार तबादले किए जा सकते हैं, लेकिन प्रमुख नीति की समय परिस्थिति गलत साबित हो चुकी है।