उत्तराखंड सरकार ने आठ दिन पहले सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन गीता श्लोक पढ़ाने का आदेश जारी किया था, लेकिन इस आदेश के खिलाफ SC‑ST शिक्षक संघ ने तीव्र विरोध जताया है।
संघ अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा ने शिक्षा निदेशक को लिखे पत्र में कहा कि भगवद गीता एक धार्मिक ग्रंथ है और अनुच्छेद 28(1) के तहत इसे सरकारी स्कूलों में पढ़ाना संविधान के धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि केवल एक संप्रदाय के धार्मिक पाठ को अनिवार्य करने से अन्य धर्मों व जातियों के छात्रों में असहजता और भेदभाव की भावना पैदा हो सकती है ।
सरकार ने निर्देश में कहा था कि शिक्षक श्लोक का अर्थ, वैज्ञानिक प्रासंगिकता और नैतिक शिक्षा बताएं, साथ ही weekly चर्चा और feedback सत्र करें। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा निदेशक डॉ. मुक्ता सत्ती का कहना है कि यह पहल NEP 2020 के तहत आधुनिक शिक्षा में पारंपरिक ज्ञान जोड़ने का प्रयास है, जिसका उद्देश्य चरित्र निर्माण, नेतृत्व विकास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।
अब शिक्षक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो वे न्यायालयीन प्रक्रिया शुरू करने को बाध्य होंगे ।